एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023
एक डोर में सबको जो है बाँधती, वह हिंदी है
एक डोर में सबको जो है बाँधती, वह हिंदी है ,
माँ के आँचल सी छाया सिर डालती, वह हिंदी है,
सब भाषा की जननी कहलाती, माँ जैसा सम्मान हो,
चाहे कोई भाषा बोलो लगती सबसे अच्छी, वह हिंदी है।।
भूल रहे क्यों मात- पिता को, जिसने जन्म दिया तुमको है,
करो सदा मन से सेवा बड़े यत्न से, पाला उन्होंने तुमको है,
शर्म आज क्यों तुम उन पर करते, जब बोलते वो हिंदी हैं,
खुद अनपढ़ भले रहे पर, खूब पढ़ाया-लिखाया तुमको है।।
काट दिया सब जंगल तुमने, विकास देश का करने के लिए,
हर पल प्राणवायु को अब, तरस रहे हो तुम जीने के लिए
देखो अपनी मातृभाषा हिंदी भी तो, हमारी प्राणवायु है,
उसको बचाए रखो अपनी, आने वाली पीढ़ी के लिए।।
कविता झा'काव्य'
#लेखनी प्रतियोगिता
#आधे-अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 08:25 PM
सुन्दर सृजन
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Seema Priyadarshini sahay
25-Jul-2023 06:53 PM
अत्यंत सुंदर👌👌
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